हिंदी 'बेबी' कविता


राह कठिन है, चाह नहीं,
काम कठिन है, वाह वाह नहीं,
इंसानी ज़ज्बा चक्रवात है,
सामने जिसके, कोई आह नहीं.
(७-मार्च-२००८)

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